Friday, May 16, 2008

राहे हयात मी कुछ हासिल तो हो सफर का!

सह्राए दिल को मेरे अब गुलिस्तान बन्दे!!

अफसाना मेरे दिल का पेश-ऐ-नज़र है तेरे!

चाहे खामोश हो जा ये दास्ताँ बंदे का !!

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