Sunday, May 11, 2008

ज़िंदगी है नादाँ इसलिए चुप हूँ,
दर्द ही दर्द है सुबह शाम इसलिए चुप हूँ,
कह तो दूं ज़माने से दास्तान अपनी,
लेकिन,
उसमें आएगा नाम उसका इसलिए में चुप हूँ।

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