Friday, May 16, 2008

हौठों पर है मुस्कान अौर शब्द सर्द,
कर मत ये ग़म ग़लक हो के बेखबर,
रात अौर िदन, आँसूं अौर हंसी,
जी ले एक भरपूर, पाएगा दूसरा तभी,
िछपा खुदको इनकी आगोश में,
खुल कर बाहर पाएगा तू कभी

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