Friday, May 16, 2008

चन्द लम्हे बचे हैं तेरे मेरे साथ कई
मुमकिन है के बिछड़ जाएं बिना मुलाकात कई....


कहाँ आंसुओं की ये सौगात होगी,
नए लोग होंगे नयी बात होगी......


मैं हर हाल मी मुस्कुराता रहूँगा,
अगर तुम्हारी मोहब्बत मेरे साथ होगी.....


चिरागों को महफूज़ रखना आंखो मैं,
बड़ी दूर तक अँधेरी रात होगी......


मुसाफिर हूँ मैं भी, मुसाफिर हो तुम भी
फिर कहीं, किसी मोड़ पर शायद मुलाक़ात होगी.......

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