अपने आंखों की बेकरारी को अब छिपाएं कैसे
तुम्हे ढूंढे मेरी नज़र इन्हे रोको कैसे
तेरा आशिक हूँ तुझे बतायूं कैसे
इनकार से तेरे डरता हूँ
बेपनाह प्यार है तुझसे कह दूँ कैसे
Sunday, May 11, 2008
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शायरी एक माध्यम.............
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