हौठों पर है मुस्कान अौर शब्द सर्द,
कर मत ये ग़म ग़लक हो के बेखबर,
रात अौर िदन, आँसूं अौर हंसी,
जी ले एक भरपूर, पाएगा दूसरा तभी,
िछपा न खुदको इनकी आगोश में,
खुल कर बाहर न आ पाएगा तू कभी ।
Friday, May 16, 2008
चन्द लम्हे बचे हैं तेरे मेरे साथ कई
मुमकिन है के बिछड़ जाएं बिना मुलाकात कई.... ♥
♥
कहाँ आंसुओं की ये सौगात होगी,
नए लोग होंगे नयी बात होगी......♥
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मैं हर हाल मी मुस्कुराता रहूँगा,
अगर तुम्हारी मोहब्बत मेरे साथ होगी.....♥
♥
चिरागों को महफूज़ रखना आंखो मैं,
बड़ी दूर तक अँधेरी रात होगी......♥
♥
मुसाफिर हूँ मैं भी, मुसाफिर हो तुम भी
फिर कहीं, किसी मोड़ पर शायद मुलाक़ात होगी....... ♥
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